क्या आपको चश्मा लगाना अच्छा नहीं लगता? अगर हां तो रोज सुबह दस से 15 मिनट धूप जरूर सेकें। आपकी आंखों का नूर बरकरार रहेगा। अमेरिकन एकेडेमी ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी की ओर से प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में यह सलाह दी गई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहने पर शरीर में ‘डोपामाइन’ के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। ‘डोपामाइन’ तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में मदद करने वाला एक अहम हार्मोन है। इसकी कमी से आंखों की कोशिकाएं फैलने लगती हैं। नतीजतन व्यक्ति की पास की नजर कमजोर पड़ जाती है।
अध्ययन के दौरान वेल कॉरनेल मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने देखा कि धूप सेंकने से 20 साल तक के लोगों की आंखों की रोशनी बनाए रखने में मदद मिलती है। प्राकृतिक प्रकाश में हर एक घंटे अतिरिक्त रहने पर चश्मा चढ़ने की आशंका दो फीसदी तक घट जाती है।
मुख्य शोधकर्ता क्रिस्टोफर स्टार ने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों से रोज सुबह न सिर्फ दस से 15 मिनट धूप सेंकने के लिए कहें, बल्कि उन्हें एक से तीन घंटे प्राकृतिक रोशनी में गुजारने के लिए प्रेरित भी करें। इसके अलावा बच्चों को नियमित रूप से विटामिन-ए और बीटा कैरोटीन से लैस गाजर, अंडे, संतरे, ब्रोकोली, पालक, अंकुरित अनाज खिलाना भी खासा फायदेमंद साबित हो सकता है।
फायदे और भी हैं-
1.अनिद्रा की समस्या नहीं सताएगी
-सूर्य की रोशनी शरीर की जैविक घड़ी को नियंत्रित रखने में मदद करती है। यह स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ के उत्पादन पर लगाम लगाने में भी अहम भूमिका निभाती है। इससे अनिद्रा की समस्या तो दूर होती ही है, साथ में नींद की गुणवत्ता में भी सुधार आता है।
2.हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनेंगी
-स्टार ने बताया कि सूर्य की रोशनी त्वचा में मौजूद कोशिकाओं को विटामिन-डी के उत्पादन के लिए प्रेरित करती है। यह विटामिन हड्डियों और मांसपेशियों में क्षरण की शिकायत को दूर रखता है। साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा भी घटाता है।
3.कैंसर से बचाव में कारगर
-नियमित रूप से धूप सेंकने पर स्तन, प्रोस्टेट और अंडाशय के कैंसर से मौत के खतरे में भी कमी आती है। हालांकि, व्यक्ति को सुबह छह से सात बजे निकलने वाली धूप ही लेनी चाहिए। दिन में धूप में निकलते समय शरीर के हर खुले हिस्से पर सनस्क्रीन जरूर लगानी चाहिए।
4.डिप्रेशन की शिकायत दूर होगी
-स्टार की मानें तो धूप सेंकने से मस्तिष्क का ‘हाइपोथैलमस’ भाग सक्रिय हो जाता है। यह ज्यादा मात्रा में फील गुड हार्मोन ‘सेरोटोनिन’ का स्त्राव करता है। इससे व्यक्ति को उदासी, बेचैनी, जीवन से नाउम्मीदी और खुदकुशी के ख्याल पर काबू पाने में मदद मिलती है।
किसे कितनी जरूरत
-यूं तो विशेषज्ञ दस से 15 मिनट धूप सेंकना काफी मानते हैं। लेकिन कई बार यह उम्र, त्वचा की रंगत और भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को कितनी धूप लेने की जरूरत है। सांवले और 60 पार लोगों में विटामिन-डी का उत्पादन धीमा होता है। वहीं, भूमध्य रेखा के करीब रहने वालों में यह तेजी से पैदा होता है।
अति बुरी है
-जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज के शोधकर्ताओं के अनुसार हर चीज की तरह ही, धूप की अति भी बुरी है। इसकी वजह सूर्य की रोशनी में मौजूद अल्ट्रावायलेट विकिरणें हैं। ये न सिर्फ झुर्रियों और टैनिंग की समस्या को जन्म दे सकती हैं, बल्कि त्वचा कैंसर का कारण भी सकती हैं।
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