1. आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है
धरती के चारों ओर वायुमंडल यानी हवा है। इसमें कई तरह की गैसों के मॉलीक्योंल और पानी की बूँदें या भाप है। गैसों में सबसे ज्यादा करीब 78 फीसद नाइट्रोजन है और करीब 21 फीसद ऑक्सीजन। इसके अलावा ऑरगन गैस और पानी है।
इसमें धूल, राख और समुद्री पानी से उठा नमक वगैरह है। हमें अपने आसमान का रंग इन्हीं चीजों की वजह से आसमानी लगता है। दरअसल हम जिसे रंग कहते हैं वह रोशनी है। रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं। जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है।
वे धूल के कणों से बड़ी होती हैं। यानी रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजर नहीं आती। पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। और यह रोशनी टकराकर चारों ओर फैलती है। रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है। यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है
2. तारे टूटते हुए क्यो दिखाई देते है?
अन्तरिक्ष में अनेकों बड़ी-बड़ी रचनाएँ उपस्थित है जो पृथ्वी से अरबों किलोमीटर की दुरी पर स्थित है जिन्हें हम तारों के रूप में देखते है। जब वे बाहरी अन्तरिक्ष से वायुमंडल में प्रवेश करते है तो हवा की रगड़ से गर्म होकर चमकने लगते है
ये उल्कायें भी कहलाती है अधिकांश उल्कायें वायुमंडल में पूरी तरह जल जाती हैं लेकिन कुछ बड़े उल्का पिण्ड पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं उन्हें जब गिरता हुआ देखते है तो हम कहते है कि तारा टूट रहा है।
3. दिन में तारे दिखाई क्यों नही देते है
पृथ्वी के चारों ओर सघन वायुमंडल है जो कि सूर्य के प्रकाश के चारों ओर बिखेर देता है जिससे दिन में आकाश चमकदार हो जाता है तथा तारे दिखाई नहीं देते है जबकि चाँद पर जहाँ वायुमंडल नहीं है वहाँ दिन में भी तारे देखे जा सकते हैं
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